This is a most beautiful composition on Lord Krishna who is being worshiped as Srinathji in certain states (like Gujarath) in India. Love and devotion will pour out as we listen to this song in a calm and quite environment.

Lyrics:भजे व्रजाइका माँडनम( गुजराती)

भजे व्रजाइका माँडनम, समस्ता पाप खंडानम,
स्वाभक्त चिट रंजाणम, सदैव नंद नंदनम,
सूपिँच्छा गुच्छा मस्तकाम, सुनड़ वेणु हस्तकं,
अनांग रंग सागरम, नामामी कृष्णा सागरम.

मनोज गर्व मोचानाम विशाल लॉल लोचानाम,
विधूता गोप शोचानाम नामामी पद्मा लोचानाम,
कररविंदा भूढ़ारम स्मिथवलोका सुंडरराम,
महेंद्रा माना नरणाम, नामामी कृष्णा वारनाम.

कदंब सून्न कुंडलम सुचारू गंदा मंडलम,
व्रजंगा नाका वल्लभं नामामी कृष्णा दुर्लभं
यासोडया समोदाया सगोपाया साननंदया,
युटम सुखाका दयकम नामामी गोपा नायकम.

सदइवा पड़ा पंकाजाम मढ़ीया मानसे निजाम,
दाधन मूटा मलकम, नामामी नंदा बालकम,
समस्ता दोषा शोषानाम, समस्ता लोका पोषानाम,
समस्ता गोपा मानसां, नामामी नंदा लालसम.

भूओ भराव तराकम भवाबदी करना धरकम,
यसोमती कीसोरकम, नामामी चिट चोरकम.
दा गणता काँटा बांगिनम, सदा सदाना संगिनम,
दीने दीने नवम नवम नामामी नंदा संभवाँ.

गुना करम सूखा करम कृपा करम कृपा करम,
सूरद्वी शन्नी कंदनम, नामामी गोपा नंदनम.
नवीना गोपा नागरम नवीना केली लंपटम,
नामामी मेघा सुंड्रम तड़ित प्रभाल सटपटम.

समस्ता गोपा नंदनम, हृुदम बुजैयका मोड़नाम,
नामामी कुंजा मध्यागम, प्रसन्ना भानु शोभानाम.
निकामा कामढ़ायकम दृ गणता चारू सायकम,
रसल वेणु गायकम, नामामी कुंज नायकम.

विदग्धा गोपिका मानो मनोज्ञा तल्पा शाईनाम,
नामामी कुंजा कानाने प्रा वरदा वह्नि पाईनाम.
कीसोरकांति राँचितम, दृगंजाणम सुशोबितम,
गजेन्ड्रा मोक्सा करिणाम, नामामी श्री विहारिनाम.

यधा ताधा यधा ताधा तथैइवा कृष्णा सतकथा,
माया सदइवा गीया थाम ताधा कृपा विधीया ताम.
प्रमाण इकष्ता कड़वयं छा पाठ्या ढीठया यह पुमान,
भवेत सा नंदा नँडणे भावे भावे शू भक्तिमान.

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भजे व्रजैकमण्डनं हिंदी Lyrics

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं
स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम् |
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं
अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम् || १ ||
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं
विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम् |
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं
महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णावारणम् || २ ||
कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं
व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम् |
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया
युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम् || ३ ||
सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं
दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम् |
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं
समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम् || ४ ||
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं
यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् |
दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसम्भवम् || ५ ||
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं
सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम् |
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं
नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम् || ६ ||
समस्तगोपनन्दनं हृदम्बुजैकमोदनं
नमामि कुंजमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम् |
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं
रसालवेणुगायकं नमामि कुंजनायकम् || ७ ||
विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं
नमामि कुंजकानने प्रव्रद्धवन्हिपायिनम् |
किशोरकान्तिरंजितं दृअगंजनं सुशोभितं
गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम् || ८ ||
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम् |
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान || ९ ||
इति श्रीमद शंकराचार्यकृतं श्रीकृष्णाष्टकं सम्पूर्णम्