Nirajala ekadashi ki katha : ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष पर निर्जला एकादशी है। इस‌ व्रत के दौरान पानी का एक बूंद भी ग्रहण नहीं किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इससे 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

हिंदू धर्मावलंबियों यानी हिंदू परंपरा को मानने वालों के लिए एकादशी व्रत बहूत महत्वपूर्ण है जो इस सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु इस संसार की देख-रेख करते हैं। सनातन धर्म में भगवान विष्णु को प्रमुख देवता माना गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, वर्ष में कुल 24 एकादशियां मनाई जाती हैं जो प्रत्येक माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ती हैं।

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सर्वोत्तम माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। कहा जाता है कि महाबली भीमसेन ने इस व्रत को किया था। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ कथा का पाठ करने का भी विधान है।

यहां जानें, इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत की पौराणिक और प्रसिद्ध कथा।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडू परिवार एकादशी व्रत श्रद्धा-भाव से करते थे, मगर भीमसेन व्रत करने में असमर्थ रहते थे। इसकी वजह यह थी की वह एक समय का खाना भी खाए बिना नहीं रह पाते थे। अपने भाईयों को व्रत करता देख उनका भी व्रत करने का मन करता था लेकिन वह मजबूर थे। वह भगवान विष्णु का निरादर नहीं करना चाहते थे इसलिए एक बार उन्होंने अपनी व्यथा महर्षि व्यास जी को बताई और इस समस्या का हल पूछा। वेदव्यास जी ने उनकी चिंता दूर करते हुए निर्जला एकादशी व्रत का महत्व बताया और कहा कि इस व्रत के नियम बेहद कठिन हैं मगर जो यह व्रत करता है उसे समस्त एकादशियों का फल मिलता है तथा उसके सारे पाप मिट जाते हैं। यह एकादशी वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच में पड़ती है और इस दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। वेदव्यास जी के कहने पर महाबली भीमसेन भी इस व्रत को करने लगे, इसीलिए इस एकादशी को भीमसेन एकादशी या भीम एकादशी भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी 2021 व्रत तिथि तथा मुहूर्त, निर्जला एकादशी 2021 व्रत का पारण कब करें

निर्जला एकादशी व्रत: – 21 जून 2021, सोमवार
एकादशी तिथि प्रारंभ: – 20 जून 2021 शाम (04:21)
एकादशी तिथि समाप्त: – 21 जून 2021 दोपहर (01:31)
पारण मुहूर्त: – 22 जून 2021 सुबह 05:13 से 08:01 तक

इस एकादशी को निर्जला एकादशी, भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी कहा जाता है। यह व्रत समस्त एकादशी व्रतों में सबसे कठोर है लेकिन यह व्रत करने वाले जातक को सभी एकादशियों का फल एक साथ प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी व्रत के नियम बेहद कठीन माने जाते हैं, इस दिन जल का एक भी बूंद ग्रहण नहीं किया जाता है।